Big News : देवभूमि उत्तराखंड में शत्रु संपतियों पर धामी सरकार की कार्रवाई का इंतजार … फैज मोहम्मद शत्रु संपति की फाइल कहां अटक गई … अरबों की सरकारी भूमि पर है अवैध कब्जा, केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शत्रु संपत्तियों पर लेना है सरकार को कब्जा

उत्तराखंड सरोकार ब्यूरो

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में शत्रु संपत्ति मामलो में केंद्र के आदेशों के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद शत्रु संपत्तियों की एक एक करके फाइलें खुलने लगी है। जानकारी के मुताबिक फैज़ मोहम्मद शत्रु संपत्ति सहित अन्य 34 संपत्तियों की फाइलें खोल दी गई थी लेकिन ये फाइल फिर से खामोशी के चादर के नीचे छुपा दी गई हैं।

इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय से भी कड़े दिशा निर्देश मिले है कि उक्त शत्रु संपत्तियां जिलाधिकारी अपने कब्जे में लेकर शासन के जरिए गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करें।

जानकारी के मुताबिक फैज़ मोहम्मद नाम से दर्ज शत्रु संपत्तियां देहरादून में दर्ज हैं और इन्हे खुर्द-बुर्द करने में सहारनपुर और देहरादून के भू माफिया पिछले कुछ समय से लगे हुए हैं और इनके फर्जी वारिसान दस्तावेजों के जरिए अवैध कब्जे जमाए हुए हैं।

ऐसा बताया गया है कि उत्तराखंड बनने के बाद भी देहरादून, हरिद्वार के जमीनी राजस्व दस्तावेज सहारनपुर कमिश्नरी में पड़े रहे, क्योंकि उस वक्त कमिश्नरी सहारनपुर में ही हुआ करती थी और बरसों पुराने जमीनी दस्तावेज वहीं मिलते थे, वहीं से भू माफिया देहरादून की जमीनों के कागजों में फर्जीवाड़े करते रहे। इन्ही मूल दस्तावेजों को पूर्व में तत्कालीन डीएम सोनिका ने देहरादून मंगवा लिए जिसके बाद से भू माफियाओं की धरपकड़ शुरू हुई थी।

जानकारी के मुताबिक आईएसबीटी के पास टर्नर रोड पर 70 बीघा जमीन फैज मोहम्मद शत्रु संपत्ति के रूप में चिन्हित हो चुकी है, जिसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी सूचीबद्ध किया हुआ है।

फैज मोहम्मद नाम की माजरा क्षेत्र में भी 1800 बीघा शत्रु संपत्ति चिन्हित है, बताया जाता है कि डीएम के निर्देश पर नगर मजिस्ट्रेट ने उक्त जमीन के दस्तावेजों की जांच पड़ताल की है और मौका मुआयना भी किया लेकिन उसके बाद एकाएक ये फाइलें ठंडे बस्ते में चली गई।
एक अनुमान के अनुसार ये दोनो संपत्तियों की कीमत अरबों में है और इस पर अवैध रूप से लोग सहारनपुर, मुजफ्फरनगर आदि इलाकों से आकर बसे हुए हैं या बसाए गए हैं और इस साजिश पीछे कई प्रभावशाली सफेदपोश भी शामिल हैं।

बहरहाल धामी सरकार को गृह मंत्रालय की तरफ से भी निर्देश हैं कि राज्य सरकार,शत्रु संपत्तियों को अपने कब्जे में लेकर उन्हे जिला अधिकारी की देखरेख में सुपुर्द करें। जिलाधिकारी अपनी कस्टोडियन में इसका उपयोग जनहित में स्वयं कर सकते हैं और इन्हें किसी और के सुपुर्द नहीं किया जा सकता। इसी क्रम में नैनीताल की मेट्रोपौल होटल शत्रु संपत्ति को खाली करवाया गया और शेष संपत्तियों की भी फाइल अब ठंडे बस्ते से बाहर निकाल दी गई हैं। हरिद्वार में भी शत्रु संपत्तियां हैं और उधम सिंह नगर जिले में किच्छा में भी शत्रु संपत्ति के होने की बात बताई जा रही है।

कौन सी होती हैं शत्रु संपत्तियां

केंद्र सरकार द्वारा 10 सितंबर 1959 और 18 दिसंबर 1971 को एक अध्यादेश ज़ारी कर उन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था जिनके मालिक, आजादी के दौरान हुए बंटवारे में देश छोड़ कर दूसरे देश में जाकर बस गए और उन्होंने वहां की नागरिकता हासिल कर ली।

कौन कर कर रहे हैं शत्रु संपत्ति को खुर्द-बुर्द?

जो लोग दूसरे देशों में जाकर बस गए उनके तथाकथित रिश्तेदार यहां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पैदा हो गए और। शत्रु संपत्ति को अपना बताते हुए उन पर दावा करने लगे और उनके द्वारा उक्त संपत्ति की फर्जी रजिस्ट्रियां भी की हुई हैं जिनके मामले स्थानीय अदालतों में चल रहे है, जिनपर अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कानूनी कारवाई शुरू कर दी है और इन संपत्तियों पर अपने कब्जे लेने की कारवाई तेज कर दी है।

देश में करीब एक लाख करोड़ की शत्रु संपत्तियां

पिछले दिनों गृह मंत्रालय ने एक सर्वे में पाया कि देशभर में 12611 के करीब शत्रु संपत्तियां चिन्हित हैं जिनकी कीमत करीब एक लाख करोड़ रुपए आंकी गई है, इनमे से 12485 संपत्तियां ऐसी हैं जिनके मालिक, आजादी के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान जाकर बस गए और 126 ऐसे थे जो चीन के नागरिक बन गए।

उत्तराखंड में भी ऐसी 34 शत्रु संपत्तियां है, जिन्हे अवैध कब्जो से मुक्त करवाने का अभियान धामी सरकार ने शुरू किया है।

समस्त शत्रु संपतियों को खाली करवाने के लिए हमारी सरकार ने संकल्प लिया है : सीएम धामी 

उत्तराखंड में जितनी भी शत्रु संपत्तियों के विषय में केंद्र के गृह विभाग से सूचना आई है, उनकी पहचान कराई गई है। शासन स्तर से सभी जिला अधिकारियों को कहा गया है कि वे इन्हें खाली करवा कर उनका जनहित में उपयोग करें। हमारी सरकार ने नैनीताल की शत्रु संपत्ति को खाली करवाया है।जिसका उपयोग पार्किंग के लिए किए जाने की अनुमति दी गई है। उत्तराखंड के समस्त शत्रु संपतियों को खाली करवाने के लिए हमारी सरकार ने संकल्प लिया हुआ है।

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